परिभाषा –विद्युत आवेश का वह क्षेत्र जहाँ तक कोई अन्य आवेश आकर्षण या प्रतिकर्षण बल को फील करता हो विद्युत क्षेत्र कहलाता है
किसी आवेश के चारो ओर वह छेत्र जिसमें स्थित कोई विद्युत आवेश अपनी स्थिति के अनुसार बल अनुभव करता हैं उसे विद्युत छेत्र कहते है ।
विद्युत छेत्र एक सदीश छेत्र होता है।
यानि ऐसी जगह जहाँ तक आवेश बल को महसूस करता हो उस पूरी जगह को विद्युत क्षेत्र कहते हैं।
विद्युत छेत्र की तीव्रता क्या है। विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का सूत्र क्या है
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता की परिभाषा से –

विद्युत छेत्र की तीव्रता की परिभाषा vidyut kshetra ki paribhasha
विद्युत छेत्र के किसी बिंदु पर रखे परिक्षण आवेश पर प्रतिएकांक धनावेश पर लगने वाले बल को विद्युत छेत्र की तीव्रता कहते है।
विद्युत छेत्र तथा विद्युत छेत्र की तीव्रता का वीडियो
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक
विद्युत क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक न्यूटन /कुलम या वोल्ट/मीटर होता है। इसकी विमा MLT⁻³A⁻¹ होती हैं।
vidyut kshetra ki tivrata aur vibhav mein kya sambandh hai
यदि किसी विद्युत क्षेत्र की तीव्रता प्रत्येक बिंदु पर परिमाण तथा दिशा में समान हो तो वह विद्युत छेत्र एक समान या समरूप कहलाता हैं।
धनावेश के कारण विद्युत छेत्र बाहर की ओर उन्मुख त्रिजिय जबकि
ऋणावेश के कारण दिशा उन्मुख त्रिज्यीय अंदर की ओर होगा।
विद्युत बल रेखाएं काल्पनिक होती है। तथा किसी आवेश (Q) के कारण r दूरी पर स्थित विंदू पर विद्युत छेत्र की तीव्रता

इसके आधार पर यह कह सकते हैं कि विद्युत क्षेत्र की तीव्रता आवेश Q ( स्त्रोत आवेश ) पर निर्भर करती हैं।
तथा लाए गए आवेश q (परीक्षण आवेश ) पर निर्भर नहीं करता है।
एक से अधिक आवेशो के कारण विद्युत छेत्र की तीव्रता
माना किसी निकाय में आवेश q₁, q₂ q₃,….. qₙ स्थित है जिनके मूल विंदू के सापेछ स्तिथि सदिष r₁, r₂ , r₃,…… rₙ तथा
मूल बिंदु के सापेक्ष किसी बिंदु p पर विद्युत क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है। जिसकी स्तिथि सदीश है।
माना विभिन्न आवेशो के कारण विधूत छेत्र की तीव्रता क्रमशः E₁ , E₂ , E₃,……Eₙ है।
आवेश q₁ के कारण बिंदु P पर विद्युत छेत्र की तीव्रता E₁

अध्यारोपण के सिद्धांत से बिंदु P पर कुल तीव्रता E=

विद्युत बल रेखाएं क्या है।परिभाषा।गुण
विद्युत बल रेखाओं की परिभाषा
विद्युत बल रेखाएं विद्युत छेत्र में वह काल्पनिक निष्कोण वक्र जिन पर स्वतंत्र एकांक धनावेश चलता है।
विद्युत बल रेखाओं के गुण
1. ये रेखाएं धनावेश से चलकर रिनवेश पर खत्म होती हैं।
2. इनके किसी बिंदु पर खींची गई स्पर्श रेखा विद्युत छेत्र की परिणामी तीव्रता या एकांक धनावेश पर लगने वाले बल को बताती हैं।
3. ये एक – दूसरे को कभी नहीं काटती है,क्योंकि इस स्तिथि में कटन बिंदु पर दो स्पर्श रेखाएं बनेगी जो संभभ नहीं है।
4. विद्युत बल रेखाएं लंबाई की दिशा में सिकुड़ने का प्रयास करती है,जिससे विपरीत आवेश में आकर्षण बल होता हैं।
5. विद्युत बल रेखाएं लंबाई के लंबवत दिशा में एक दूसरे से दूर हटने का प्रयास करती है, जिससे समान आवेश के मध्य प्रतिकर्शन होता है।
6. जिस – जिस स्थान पर विद्युत बल रेखाओं की संख्या अधिक होती है। वहा विद्युत छेत्र अधिक प्रवल होता है।
विद्युत छेत्र की प्रवलता की दूरी पर निर्भरता :-
माना किसी Ο पर कोई धनावेश स्थित हैं। माना इस बिंदु से r₁ दूरी पर छेत्रफल अल्फांश P₁ तथा r₂ दूरी पर छेत्रफ़ल अल्फांस P₂ स्थित है।
यदि ठोस कोण ΔΩ हो तो इसकी परिभाषा से

माना P₁ तथा P₂ से गुजरने वाली बल रेखाओं की संख्या n है । तो P₁ पर एकांक छेत्रफल से गुजरने वाली रेखाएं अर्थात छेत्र प्रबलता