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12th class physics chemistry and maths notes in hindi

Om Ka Niyam Kya Hai ओम का नियम क्या है? परिभाषा, सूत्र, सीमा, सत्यापन

by staff

आइए दोस्तो आज हम इस आर्टिकल में om ka niyam ओम का नियम (What is ohm’s law in hindi) को समझेंगे।

यह नियम विज्ञान के महत्वपूर्ण नियमो में से एक है यह नियम कक्षा 10 और 12 के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। तो आइए समझते है की ओम का नियम क्या है? 

नियमो को कभी भी रटना नही चाइये हमे इसे समझना चाहिए कि हम नियमो को क्यों पढ़ रहे हैं इसका हमारे दैनिक जीवन में क्या उपयोग है।

इस पोस्ट में आप ओम के नियम को आसानी समझ लेगे और इसका उपयोग जान पाएंगे । 

 1828 में जर्मन के वैज्ञानिक ओम जिनका पूरा नाम जार्ज साइमन ओम था जिन्होंने करंट तथा वोल्टेज के बीच एक संबंध स्थापित किया जिसे ओम का नियम कहते है

ओम का नियम क्या है om ka niyam kya hai । om ka niyam kise kahate hain :-

ओम का नियम किसे कहते हैं बताइए इस नियम के अनुसार यदि किसी चालक भौतिक परिस्थितियों( जैसे :- ताप,दाब आदि ) को स्थिर रखे तो उसमे प्रवाहित विद्युत धारा चालक के शीरो पर लगाए गए विभांतर के समानुपाती होती है ।

ओम का नियम का सूत्र om ka niyam ka formula

यदि चालक के शिरो पर लगाया गया विभांतर V तथा चालक में बहने वाली धारा I हो तो :-

V ∝ I

अर्थात वोल्टेज का मन बढ़ने पर धारा का मन भी बढ़ता है और वोल्टेज का मन काम होने पर धारा का मन भी कम होता जाता है। अर्थात om ka niyam ka sutra kya hai

V=RI

om ka niyam में R एक स्थिर नियतांक है जिसे चालक का प्रतिरोध कहते है।

R=V/I

वोल्टेज का मन ज्ञात करने के लिए ओम का नियम

V=I×R

विद्युत धारा का मान ज्ञात करने के लिए ओम का नियम    I=V/R

प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिए ओम का नियम  R=V/I

ओम का नियम किस पर लागू होता है

इस नियम का उपयोग केवल DC परिपथ में पर ही लागू होता है, AC परिपथ में नहीं ।

ओम के नियम के अनुप्रयोग om ka niyam ke anuprayog

वोल्टेज और धारा के बीच ग्राफ बनाते है तो एक सीधी रेखा का ग्राफ बनता है जिसका मतलब है कि वोल्टेज का मन बढ़ने पर विद्युत धारा का मन भी बढ़ेगा।

ओम का नियम का उपयोग करके हम विभांतर,विद्युत धारा तथा प्रतिरोध का मान ज्ञात कर सकते है।

ओम के नियम की Limit यानि सीमायें om ka niyam ki simaye

  • चालक की भौतिक परिस्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए तथा चालक में किसी प्रकार की विकृति पैदा नही होनी चाहिए
  • ओम का नियम सिर्फ चालकों के लिए ही काम करता है कुचलको तथा अर्धचालको के लिए ये नियम काम नही करता है।
  • ओम के नियम का पालन करने वाले प्रतिरोध लगाए गए विभांतर पर निर्भर नही होता है  जिससे V-I के मध्य ग्राफ एक सीधी रेखा प्राप्त होती है ।
  • ओम का नियम चालकों पर जब तक ही काम करता है जब तक की लगाया गया वोल्टेज का मान कम हो

ओम के नियम का सत्यापन । om ka niyam ka satyapan

ओम का नियम क्या है इसका सत्यापन करें? इसको समझने के लिए सबसे पहले हमे विभांतर , करंट तथा प्रतिरोध को समझना होगा – 

विभांतर :- किसी चालक में दो विंदुओ के मध्य के विभव के अंतर को विभांतर कहते है ये एक प्रकार का बल होता है जो इलेक्ट्रॉन को धक्का लगाता है जिससे विद्युत धारा का प्रवाह होता है।

विद्युत धारा या करंट :- जब इलेक्ट्रॉन गति करने लगते है तो उसे हम विद्युत धारा कहते है।

प्रतिरोध क्या है परिभाषा? :- विद्युत धारा के प्रवाह में उत्पन्न होने वाली बाधा को प्रतिरोध कहते है । प्रतिरोध का सूत्र R = V/I होता है।

अब हम एक परिपथ बनाते है  एक variable वोल्टेज स्रोत जिसमे वोल्टेज को कम या ज्यादा किया जा सके तथा उसमे एक 2K का प्रतिरोध , एक अमीटर ( धारामापी ) को श्रेणीक्रम में तथा एक वोल्टमीटर को समांतर क्रम में लगाते है । अब हमारा परिपथ तैयार है 

अब हम वोल्टेज को धीरे धीरे बढ़ाकर विद्युत धारा का मान नोट करते है तथा एक ग्राफ बनाते है जिससे एक सीधी रेखा प्राप्त होती है । जिससे पता चलता है की वोल्टेज का मान बढ़ने पर धारा का मान भी बढ़ता है । इसे ही ओम का नियम कहते है।

इस सिद्धांत से यह निष्कर्ष निकलता है कि किसी कंडक्टर का रेजिस्टेंस स्थिर रहता है। यानी यदि वोल्टेज को दो गुना करने पर, तो करंट भी दुगुना हो जाएगा परंतु रेजिस्टेंस वही रहेगा।

ध्यान रहे कि यह सारी बातें तभी तक वैध हैं, जब तक कंडक्टर का तापमान स्थिर है। यदि तापमान बढ़ा, तो रेजिस्टेंस भी बढ़ जाएगा।

om ka niyam के आधार पर प्रतिरोधों के प्रकार

ओम के नियम से प्रतिरोध दो प्रकार के होते है – (1) ओमीय प्रतिरोध (2) अनओमीय प्रतिरोध

 (1) ओमीय प्रतिरोध:-ऐसे प्रतिरोध जो ओम के नियम का पालन करते है  तथा उनके लिए वोल्टेज तथा करंट का ग्राफ एक सरल रेखा होती है ऐसे प्रतिरोधो को ओमीय प्रतिरोध कहते है 

चाँदी, ताँबा, पारा, नाइक्रोम, सल्फर, माइका, घुलनशील इलेक्ट्रोड वाले

विद्युत अपघट्य आदि ओमीय चालक है।

(2) अनओमीय प्रतिरोध:- ऐसे प्रतिरोध जो ओम के नियम का पालन नहीं करते है तथा उनके लिए वोल्टेज तथा करंट का ग्राफ एक सरल रेखा प्राप्त नहीं होती है ऐसे प्रतिरोधो को अनओमीय प्रतिरोध कहते है 

 Note:- इलेक्ट्रॉनिक्स जेसी विषय में ऐसे बहुत से प्रतिरोध है जो ओम के नियम का पालन नहीं करते है। ओम का नियम सभी जगह पर काम नही करता है जैसे :- ट्रांजिस्टर ,निर्वात नलिका , डायोड , विद्युत अपघटनी द्रव इत्यादि।

प्रतिरोध का मात्रक तथा प्रतीक :-

प्रतिरोध का मात्रक क्या होता है? प्रतिरोध का SI मात्रक ओम होता है तथा इसे Ω से प्रदर्शित करते हैं।

एक ओम की परिभाषा :- यदि किसी चालक में 1 V का विभांतर देने पर उस चालक में 1 एम्पीयर की धारा प्रवाहित हो तो उस चालक का प्रतिरोध एक ओम होगा।

अंतर्राष्ट्रीय ओम (International Ohm)

एक वर्ग किमी अनुप्रस्थ काट क्षेत्र वाले 10.63 सेमी. लंबे शुद्ध पारे के स्तंभ का प्रतिरोध, जिसका द्रव्यमान 0०C पर 14.4521 ग्राम है, एक अंतर्राष्ट्रीय ओम (International Ohm) कहलाता है।

ग्राफ पर दो रेखाओं को देखा जा सकता है। जिस रेखा में अधिक वोल्टेज प्राप्त करने के लिए कम करंट की आवश्यकता हो, वो अधिक रेजिस्टेंस दर्शाता है। इसी तरह काम रेजिस्टेंस वाले हिस्से के लिए उसी करंट पर पहले वाले कि तुलना में कम वोल्टेज उत्पन्न होगा।

ओम के नियम की असफलता ( failures of Ohm’s law in Hindi) om ka niyam

ओम का नियम हर जगह काम नही करता है अर्थात कई स्थितियों में ओम का नियम फैल हो जाता है।

1. धारा में परिवर्तन सिर्फ विभवांतर पर ही निर्भर नहीं करता , विभवान्तर के चिन्ह पर भी निर्भर करता है , जब p-n संधि पर विभवांतर लगाया जाता है तो धारा का मान विभवांतर के साथ चिन्ह (अभिनीति) पर भी निर्भर करता है , अभिनीति (चिन्ह) बदलने पर धारा की दिशा बदल जाती है यहाँ ओम का नियम काम नहीं करता।

2. यदि चालकों में विभांतर लगाया जाता है तो ग्राफ अरेखिक भी बन सकता है।

3. थाइरिस्टर का ग्राफ भी रैखिक प्राप्त नहीं होता।

ओम के नियम के उपयोग – Uses of ohm’s law in hindi , om ka niyam ke upyog

यह सिद्धांत सरल सर्किट्स को सुलझाने में अत्यंत उपयोगी है। पूर्ण सर्किट वह होता जो एक बंद लूप बनाता है। यदि सर्किट में कोई वोल्टेज स्रोत है और कोई ऐसा अंग जो करंट का उपभोग करे, तो उस लूप के सभी वोल्टेज का कुल शून्य ( 0 ) होगा।

ओम का नियम के उदाहरण, om ka niyam ke udaharn, Examples of ohm’s law in hindi

Que:-1 उस बल्ब का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए जिसमे 2A की धारा प्रवाहित करने पर 220V का विभांतर उत्पन्न हो?  

दिया गया है 

विभवान्तर (V) = 220 V

विद्युतधारा (I) = 2A

प्रतिरोध (R) = ?

ओम के नियम से

R = V/I

R = 220/2 = 110 Ω

Que-2 उस चालक का प्रतिरोध ज्ञात कीजिए जिसके श्री पर 6V का विभांतर लगाने पर उसमे 3A की धारा प्रवाहित हो ?

दिया गया है 

विभवान्तर (V) = 6V

विद्युतधारा (I) = 3A

प्रतिरोध (R) = ?

ओम के नियमानुसार 

R = V/I

R = 6/3=2 Ω

Que:-3 यदि किसी विद्युत उपकरण का प्रतिरोध 1200 Ω है तथा इस पर 220V का विभांतर लगाने पर कितनी धारा की खपत करेगा ? 

दिया गया है

 V = 220 वोल्ट

R = 1200 Ω

ओम के नियम से

I = V / R

  = 220/1200

  = 0.183A

Que:-4 यदि किसी परिपथ में 5Ω का प्रतिरोध लगा हो तथा उसमे 4A की धारा प्रवाहित हो रही हो तो उस प्रतिरोध के शिरो पर लगाए गए विभांतर का मान ज्ञात कीजिए 

दिया गया है

धारा  I =  4 A

प्रतिरोध   R =  5Ω

विभवांतर   V= ?

 ओम के नियम से

V = R I

V = 5 × 4

V = 20V

Que:-5 यदि किसी विद्युत परिपथ के शिरो पर 24V का विभांतर लगाने पर   परिपथ में 8A की धारा प्रवाहित होती है तो परिपथ मे लगे प्रतिरोध का मान ज्ञात कीजिए |

दिया गया है

विभवांतर V = 24V

विद्युत धारा I = 8A

प्रतिरोध R = ?

ओम के नियम से

R = V/ I

R = 24 / 8

R  =3 Ω

Que:-6 किसी डीसी मोटर का प्रतिरोध 6Ω है जिसे 18V की सप्लाई मिल रही है तो प्री0आठ में कितनी धारा का प्रवाह हो रहा है  

दिया गया है

R = 6Ω , V = 18V

ओह्म के नियमानुसार

V = IR
18 = 6×I
I = 18/6

 विद्युत धारा I =3A

Que:-7 यदि किसी परिपथ के शीरों पर  40V का विभांतर लगा हो तथा उस परिपथ में 20Ω का प्रतिरोध लगा हो परिपथ में प्रवाहित धारा का मान ज्ञात कीजिए 

दिया गया है

V=40V

R = 20Ω

विद्युत धारा I = ? 

ओम के नियम से

V = RI

I = V/R

I = 40/20

I = 2A

अब आपको ओम के नियम को समझने में कोई problem नहीं होगी यदि आपको पोस्ट अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को अपने friends के साथ शेयर करें और कोई सवाल हो तो comment में पूछ सकते है।

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