अम्ल किसे कहते है (acid in hindi, acid meaning in hindi)
acid in hindi, अम्ल क्या है, अम्लों को जल में घोलने पर हाइड्रोजन आयन प्राप्त होता है। अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते है । इनको चखने पर खट्टे लगते है । इनका PH मान 7 से कम होता है। acid in hindi,base in hindi
दूसरे शब्दों में :- वे पदार्थ जो प्रोटॉन देते है, अम्ल कहलाते है। उदाहरण – NH₄⁺
अम्लो के गुण (properties of acid in hindi)
- अम्ल क्षारो के साथ क्रिया को करके लवण बनाते है। 2 HCl + 2 NAOH – NACl + H₂O
- ये संक्षारक होते है।
- विधुत के चालक होते हैं।
- धातुओं से क्रिया करके H⁺ आयन देते है।
अम्लो के प्रकार (type of acid in hindi)
कार्बनिक अम्ल (carbonic acid in hindi)
वे अम्ल जिनमें जिनमें कार्बन पाया जाता हैं, कार्बनिक अम्ल कहलाते है। जैसे:- खट्टे फल
अकार्बनिक अम्ल (inorganic acid in hindi)
वे अम्ल जिनमें कार्बन नहीं पाया जाता हैं, अकार्बनिक अम्ल कहलाते है। इन्हे खनिज अम्ल भी कहा जाता हैं। जैसे:- HCl
प्रबल अम्ल (Strongest acid)
ऐसे अम्ल जो जल में पूरी तरह घुलकर H⁺ आयन प्रदान करते है, उन्हें प्रबल अम्ल कहते हैं। ये विधुत के अधिक चालक होते है। अम्ल तीव्र प्रतिक्रिया करते हैं।
जैसे :- HCl, H₂SO₄, HNO₃
दुर्बल अम्ल (asthenic acid)
ऐसे अम्ल जो जल में पूरी तरह नहीं घुल पाते तथा बहुत कम हाइड्रोजन आयन देते है, दुर्बल अम्ल कहलाते है। ये विधुत के कम चालक होते है, इनकी अभिक्रिया दर बहुत धीमी होती हैं।
जैसे :- Ag₂CO₃
सांद्र और तनु अम्ल
सांद्र अम्ल
acid in hindi अम्ल तथा जल का ऐसा विलयन जिसमें अम्ल की मात्रा अधिक तथा जल की मात्रा कम हो, उसे सांद्र अम्ल कहते हैं।
तनु अम्ल
acid in Hindi अम्ल तथा जल का ऐसा विलयन जिसमें अम्ल की मात्रा कम हो, तनु अम्ल कहलाता हैं। कोई भी अम्ल सांद्र तथा तनु दोनों हो सकता है।
जैसे:- जब HCl को जल के घोलते है तो जब जल की मात्रा कम होती हैं तो उसे सांद्र हाइड्रोलिक अम्ल तथा जब जल की मात्रा अधिक होती हैं तो तनु हाइड्रोलिक अम्ल कहते है।
अम्लो की उपयोगीता (Uses of acid in hindi)
आजकल अम्लो की उपयोग हर जगह किया जाता है।
- अधिकतम उपयोग में लाने वाले अम्ल:- हाइड्रो क्लोरिक अम्ल, सल्फ्यूरिक अम्ल
- सामान्यतः खट्टी चीजो में कार्बनिक अम्ल पाया जाता हैं।
- एसिटोन बनाने तथा खाने वाली चीजों को खट्टा बनने में एसिटिक अम्ल का उपयोग किया जाता हैं।
- बैंकिंग पाउडर के घटक के रूप में टार्टरिक अम्ल का उपयोग किया जाता हैं।
- एस्कार्बिक अम्ल के द्वारा स्कार्बी जैसे रोगों का उपचार किया जाता हैं।
- खाद्य पदार्थों और फलों के संरक्षण में सिट्रिक अम्ल कम में लिया जाता हैं।
- सल्फ्यूरिक अम्ल का उपयोग सीसा संचायक बैटरियों में, पेंट के निर्माण में, कृत्रिम तंतु बनाने में, विस्फोटक पदार्थ बनाने में, इसे अम्लो का राजा भी कहते हैं।
- HCl हमारे भोजन का पाचन करता है, यह H₂ तथा Cl₂ से मिलकर बनता है।
- दवाइयां तथा उर्वरक बनाने में नाइट्रिक अम्ल ( HNO₃) का उपयोग किया जाता हैं।
अम्ल के स्रोत (acid in hindi)
- सल्फ्यूरिक अम्ल (HCl) हरा कसीस से बनता है।
- एसिटिक अम्ल सिरका तथा अचारो में पाया जाता हैं।
- अंगूर तथा इमली में टार्टरिक अम्ल पाया जाता हैं।
- दूध में लैक्टिक अम्ल पाया जाता हैं।
- संतरा में साइट्रिक अम्ल पाया जाता है।
- आक्सेलिक अम्ल टमाटर में पाया जाता हैं।
- घास,पत्ते में बेंजोईक अम्ल पाया जाता है।
- सेव में मोलिक अम्ल पाया जाता हैं।
- चींटी में फार्मिक अम्ल पाया जाता है।
अम्लो का रासायनिक नाम (name of acid in hindi chemistry)
- नाईट्रिक अम्ल का रासायनिक नाम HNO₃ हैं।
- हाइड्रोक्लोरिक अम्ल का रासायनिक नाम HCl है।
- आक्सेलिक अम्ल का रासायनिक नाम C₂H₂O₄ हैं।
- सल्फ्यूरिक अम्ल का रासायनिक नाम H₂SO₄ है।
- फास्फोरिक अम्ल का रासायनिक नाम H₃O₄P हैं।
- कार्बोनिल अम्ल का रासायनिक नाम H₂CO₃ है।
- लैक्टिक अम्ल का रासायनिक नाम C₃H₆O₃ हैं।
क्षार क्या है।गुण। प्रकार। उपयोग। उदाहरण
क्षार की परिभाषा (what is base in hindi,base meaning in hindi, bases meaning in hindi )
वे पदार्थ जो OH⁻ आयन देते हैं, क्षार कहलाते है। ये लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते है। इनका स्वाद कड़वा होता है तथा इनका PH मान 7 से अधिक होता है। धातुओं के आक्साइड क्षारिय होते है। what is base in hindi ,base meaning in hindi, bases meaning in hindi
क्षारो के गुण (properties of base in hindi)
- क्षारो को जल में मिलाने पर सांद्रता कम होती हैं तथा क्षारीयता का गुण भी कम होता है
- तनु क्षारों का विलयन विधुत के सुचालक होते हैं।
- साबुन तथा गिल्सरीन बनाने में क्षारों का प्रयोग किया जाता हैं।
- क्षार अम्लो के साथ अभिक्रिया करके लवण बनाते है।
- कुछ क्षार जल में घुल जाते तथा कुछ क्षार जल में नहीं घुल पाते हैं।
क्षारों के प्रकार (Type of base in hindi)
प्रबलता के आधार पर वर्गीकरण–
प्रबल क्षार (strongest base in hindi)
वे क्षार जो जल में पूरी तरह घुलकर भारी मात्रा में OH⁻ आयन देते हैं, प्रबल क्षार कहलाते है। जैसे:- NaOH,KOH आदि।
दुर्बल क्षार
ऐसे क्षार जो जल में पूरी तरह नहीं घुल पाते है तथा बहुत कम मात्रा में OH⁻ आयन देते हैं, दुर्बल क्षार कहलाते है। जैसे मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड, अमोनियम हाइड्रॉक्साइड, आदि।
जल में घुलने के आधार पर क्षारों का वर्गीकरण
एल्केली (What is alkaline, alkaline meaning in hindi)
ऐसे क्षार जो जल में घुलनशील होते हैं, एल्केली कहलाते है।
जैसे:- KOH,NaOH आदि जल में घुलनशील है।
क्षारक (What is alkaliser, alkaliser meaning in hindi)
वे क्षार जो पानी में घुलनशील नहीं होते हैं, उन्हें क्षारक कहते है। क्षारक अम्ल के साथ अभिक्रिया करके जल ओर लवण जा निर्माण करते हैं।
जैसे:- सल्फ्यूरिक अम्ल तथा कास्टिक सोडा अभिक्रिया करके सोडियम सल्फेट तथा जल का निर्माण करते है।
दैनिक जीवन में क्षारो की उपयोगिता (uses of base in hindi)
- कपड़ों से ग्रीस के धब्बे साफ करने में अमोनियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग किया जाता हैं।
- पेट में अपच का इलाज करने के लिए मैग्नीशियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग किया जाता है।
- बैंकिंग सोडा के रूप में सोडियम बाई कार्बोनेट का उपयोग किया जाता है।
- ब्लीचिंग पाउडर के निर्माण में कैल्सियम हाइड्रोक्साइड का उपयोग किया जाता है। फैक्ट्रियों से निकलने वाली विषेलि गेसो को स्वच्छ करने में।
- कपड़े धोने वाले साबुनों के निर्माण में सोडियम कार्बोनेट का उपयोग किया जाता है।
- सोडियम कार्बोनेट के द्वारा खारे पानी को मीठे पानी में बदला जाता है।
क्षारो के रासायनिक नाम (Name of base in hindi chemistry)
- सोडियम हाइड्रोक्साइड का रासायनिक नाम NaOH है।
- पोटेशियम हाइड्रोकसाइड का रासायनिक नाम KOH है।
- सोडियम बाई कार्बोनेट का रासायनिक नाम NaHCO₃ हैं।
- सोडियम कार्बोनेट का रासायनिक नाम Na₂CO₃ है।
- बेरियम हाइड्रोकसाइड का रासायनिक नाम Ba(OH)₂.H₂O है।
अम्ल और क्षार में अंतर (difference between acid and base)
- अम्लों को जल में घोलने पर H+ आयन प्रदान करते हैं,जबकि क्षारो को जल में घोलने पर OH- देते हैं।
- अम्ल हाइड्रोजन आयन देते हैं जबकि क्षार हाइड्रोजन आयन लेते हैं।
- अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं जबकि क्षार स्वाद में कड़वे होते हैं।
- अम्लों का PH में 7 से कम होता है जबकि क्षारो का PH मान 7 से अधिक होता है।
- अम्लों में विद्युत सुचालकता अधिक होती है जबकि क्षार केवल तरल अवस्था में ही विधुत के सुचालक होते हैं ।
- अम्ल धातुओं के साथ अभिक्रिया करके हाइड्रोजन गेस बनाते हैं जबकि क्षार तेल तथा बसा के साथ ही प्रतिक्रिया करते हैं।
- अम्लों से जलने जैसी महक आती है जबकि क्षार अमोनिया को छोड़कर गंधहीन होते हैं।
- अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देते हैं जबकि क्षार लाल लिटमस पत्र को नीला कर देते हैं।
- अम्ल कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया में CO₂ बनाते हैं जबकि क्षारो की कार्बोनेट के साथ कोई अभिक्रिया नहीं होती है।
- अमोनिया क्लोराइड के साथ अम्लों की कोई अभिक्रिया नहीं होती है जबकि क्षार अभिक्रिया करके अमोनिया बनाते हैं।
- अम्ल के उदाहरण:- सल्फ्यूरिक अम्ल, हाइड्रोक्लोरिक अम्ल, कार्बनिक अम्ल तथा नाइट्रिक अम्ल आदि जबकि क्षार के उदाहरण:- सोडियम हाइड्रोक्साइड तथा कैल्सियम हाइड्रोक्साइड आदि है।
- अम्लों का उपयोग खाद्य पदार्थों के संरक्षण तथा पेय पदार्थो में किया जाता है जबकि क्षारो का उपयोग साबुन बनाने में किया जाता है।
अम्लीय वर्षा (acid rain in hindi)
Acid rain hindi वायु में उपस्थित रासायनिक तत्व से मिलकर होने वाली बारिश को अम्लीय वर्षा (acid rain) कहते हैं।
वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाई ऑक्साइड (CO₂) गैस बर्षा के साथ अभिक्रिया करके कार्बोनिक अम्ल ( carbonic acid ) का निर्माण करती है जो बर्षा के रूप में गिरने लगती है जिसे हम अम्लीय वर्षा कहते हैं।
अम्लीय वर्षा के द्वारा जीव जंतुओं पेड़ पोधों सभी को बहुत नुकसान पहुंचता है।
यूरिक अम्ल (uric acid in hindi)
uric acid in hindi जब किसी व्यक्ति की किंडनी खराब हो जाती हैं तो यूरिया फिल्टर के द्वारा बाहर नहीं निकल पाता है और यह यूरिक अम्ल ( uric acid ) में बदलकर हड्डियो में जमा हो जाता है।
यूरिक अम्ल ( uric acid ) का फिल्टर किंडनी करती हैं जो फिल्टर के बाद मूत्र के साथ बाहर निकाल दिया जाता है।
जब किडनियों के द्वारा यूरिक अम्ल ( uric acid ) का फिल्टर नहीं हो पाता है तो व्यक्ति के ब्लड में यूरिक अम्ल ( uric acid ) की मात्रा बढ़ जाती है जो हड्डियों में जाकर जमा हो जाती है जिसे हम गठिया रोग के नाम से भी जानते हैं।
uric acid ( यूरिक अम्ल) के बढ़ने पर अधिकतर घुटने में दर्द, कमर में दर्द तथा गर्दन में दर्द होता है।
uric acid symptoms in hindi (यूरिक अम्ल की पहचान)
शुरूआत में uric acid ( यूरिक अम्ल ) को पहचान नहीं पाते लेकिन निम्न लक्षणों से पहचान सकते हैं –
- चलने में परेशानी या जल्दी थक जाना
- पैर तथा हाथ की अंगुलियों में सूजन का आ जाना
- हड्डियों के जोड़ वाले स्थान पर दर्द होना
- डायबटिज के मरीज को तो ये होना ही है
- प्रोटीन भी यूरिया एसिड को बढ़ाता है
- ज्यादा एकसरसाइज करने से
हमने अम्ल और क्षार को अपनी तरफ से पूरी तरह समझाने की कोशिश की है जिसमें अम्ल तथा क्षारो की परिभाषा, प्रकार, गुण तथा अंतर शामिल हैं। इनसे रिलेटेड आपको कोई ओर भी जानकारी चाहिए तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं । ये आर्टिकल आपको पसंद आया हो तो अपने दोस्तो के साथ शेयर करे।