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12th class physics chemistry and maths notes in hindi

स्थिर विद्युत क्या है या स्थिर विद्युत की परिभाषा क्या है

by staff

स्थिर विद्युत :- धातुओं के बाहर कक्ष में उपस्थित इलेक्ट्रॉनो को संयोजी इलेक्ट्रॉन कहते है जो धातु के अंदर गति करने के लिए स्वतंत्र होते है परन्तु धातु से मुक्त नहीं हो सकते है। इसका अध्यन्न को चालक स्थिर विधुत कहते है ।

स्थिर विद्युत से संबंधित कुछ बिंदु निम्न है – 

किसी चालक के भीतर स्थिर विद्युत छेत्र शून्य होता है-प्रत्येक चालक में मुक्त इलेक्ट्रॉन होते है स्थितिक स्थिति में जब चालक के भीतर या पृष्ठ पर कोई विद्युत धारा नहीं होती है तब चालक के भीतर प्रत्येक स्थान पर विद्युत छेत्र शून्य हो होता है ।

आवैशित चालक के पृष्ठ पर पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर स्थिर विद्युत क्षेत्र अभिलंवबत होते है:- यदि विद्युत क्षेत्र पृष्ठ के अभिलम्ब नहीं है तो पृष्ठ के अनुदिश कोई शुन्यतर घटक होगा तथा पृष्ठ में मुक्त इलेक्ट्रॉन गति करना शुरू कर देंगे।

अतः आवेशित चालक के पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु पर स्थिर विद्युत क्षेत्र पृष्ठ के अभिलंवबत होना चाहिए ।

स्थितिकी स्थिति में चालक के अभंतर कोई अतिरिक्त आवेश नहीं हो सकता :- जब किसी चालक के अंदर को आयतन अवयव लेते है तो दिया विद्युत आवेश केवल उस आयतन में नहीं होता तथा इससे गुजरने वाला कुल फ्लक्स शून्य होता है ।

इससे यह सिद्ध होता है कि स्थितिकी स्थिति में किसी चालक के अंदर कोई अतिरिक्त आवेश नहीं हो सकता है।

चालक के समस्त आयतन में स्थिर विद्युत विभव नियत रहता है तथा इसका मान इसके पृष्ठ पर एक समान होता है:- चूंकि किसी चालक के अंदर विद्युत छेत्र शून्य होता है तथा इसके पृष्ठ पर कोई सतत् रेखीय घटक नहीं होता है।

अतः चालक के पृष्ठ पर या भीतर किसी आवेश को गति करने पर कोई कार्य नहीं होता है।

आवेशित चालक के पृष्ठ पर विद्युत छेत्र :- किसी पृष्ठ पर प्रष्ठिय आवेश घनत्व σ हो तो विद्युत छेत्र का मान 

इस स्थिति में पृष्ठ के अंदर स्थिर विद्युत छेत्र शून्य तथा बाहर विद्युत छेत्र पृष्ठ के अभिलम्बवत है अर्थात σ का मान शून्य से बड़ा होने पर विद्युत पृष्ठ के बर्हिमुखी अभिलम्बवत होगा

जबकि σ ऋणात्मक होने पर विद्युत छेत्र पृष्ठ के अन्तर्मुखी अभिलम्बवत होगा।

स्थिर विद्युत परिक्षण क्या है

चालकों के अंदर विद्युत छेत्र शून्य होता है इस गुण का उपयोग स्थिर विद्युत परिक्षण हेतु सुग्रही उपकरणों को खोखले धातु के कोश में रखा जाता है।

जैसे :- तूफान के समय तड़ित विद्युत से बचने के लिए किसी कार के अंदर रहना पेड़ के नीचे खड़े होने से अधिक सुरक्षित है ऐसे खोखले चालकों को फैराडे पिंजरा कहा जाता है।

कोई भी भूसम्प्रकित चालक विद्युत छेत्र के लिए आवरण का कार्य भी करता है।

 इसी सिद्धांत के आधार पर T V केवल को बनाया जाता है जिससे भूसंपर्कित धातु की जाली के अंदर से उच्च आवृत्ति की विद्युत तरंगों को प्रवाहित करते है।

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