समविभव पृष्ठ की परिभाषा
विद्युत छेत्र में स्थित एक ऐसा पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिंदु पर विद्युत विभव का मान समान रहे , उसे समविभव पृष्ठ कहते है।
समविभव तल में किसी विधुत आवेश को एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में किए गए कार्य मान शून्य होता है । क्योंकि दोनों बिंदुओं पर विभव समान हैं।

विद्युत छेत्र की तीव्रता E को निरूपित करने वाली छेत्र रेखाएं समविभव तलो के लम्बवत् होती हैं क्योंकि लम्बवत् नहीं होने पर उनके क्षेतिज घटक का मान शून्य नहीं होगा तथा किसी आवेश को समविभव पृष्ठ के एक बिंदु से दूसरे तक ले जाने में कार्य करना होगा जो संभव नहीं है । इसके आधार पर कह सकते है कि विद्युत छेत्र की दिशा x – अक्ष होने पर समविभव पृष्ठ या तल Y , Z समतल होगा
विभिन्न आवेश को रखने पर समविभव पृष्ठ
यदि समान प्रकृति के दो आवेश कुछ दूरी पर स्थित हो तो आवेशो के मध्य छेत्र में विद्युत क्षेत्र की तीव्रता समान हो होती तथा इस क्षेत्र में समविभव पृष्ठ अधिक दूरी पर होंगे जबकि विपरीत प्रकृति के आवेश होने पर उनके मध्य निरक्ष से जाने वाला तल शून्य विभव का समविभव पृष्ठ होगा।

विद्युतक्षेत्र तथा विद्युत विभव में सम्बन्ध
अदिश छेत्र की प्रवणता
किसी अदिश क्षेत्र जैसे :- विभव छेत्र में अदिश फलन की स्थिति के साथ अधिकतम परिवर्तन की दर को उस अदिश छेत्र की प्रवणता कहते है।
माना दो समविभव पृष्ठ A तथा B है । जिनके विभव क्रमशः V तथा V+ΔV है तथा इन दोनों के मध्य दूरी Δl है इस स्थिति में ΔV विद्युत छेत्र की दिशा में V में परिवर्तन है ।

माना कोई एकांक धनावेश विद्युत छेत्र की दि।शा के विपरीत पृष्ठ B से A पर लाया जाता है तो किया कार्य

यह कार्य विभान्तर के समान होगा तब

इसके आधार पर हम निम्न दो निष्कर्ष लिख सकते है-
- विद्युत छेत्र सदैव उस दिशा में होता है जहा विभव में सर्वाधिक कमी हो।
- किसी बिंदु पर विद्युत छेत्र का परिमाण उस बिंदु पर पृष्ठ के अभिलंबवत विभव के परिमाण में प्रतिएकांत विस्थापन परिवर्तन के द्वारा व्यक्त किया जाता है।