विद्युत स्थितिज ऊर्जा
दो या दो से अधिक बिंदुवत आवेशो के निकाय के लिए उन आवेशो को अनन्त से लाकर दी गई स्थितियों तक विस्थापित करने में किया गया कार्य विद्युत स्थितिज ऊर्जा कहलाता है।
दो आवेशो के निकाय की विद्युत स्थितिज ऊर्जा
माना किसी विद्युत आवेश q₁ को अनन्त से किसी बिंदु जिसका स्थिति सदिश r₁ है तक लाते है ।
इस स्थिति में इस पर कोई भी बल नहीं लगने कारण के कारण किया गया कार्य शून्य होगा जिसके कारण किसी बिंदु P पर उत्पन्न विभव

जब किसी आवेश q₂ को अनन्त से उस बिंदु तक लाते है। जिसका सदिश r₂ हो तो आवेश q₂ पर किया गया कार्य

चूंकि स्थिर विद्युत बल संरक्षी होता है। अतः किया गया कार्य निकाय की विधुत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है।
अतः दो आवेशो के निकाय की स्थितिज ऊर्जा

यदि आवेश q₂ को रखकर q₁ को लाए तो उस स्थिति में भी विद्युत स्थितिज ऊर्जा का मान यही प्राप्त होता है
इससे यह सिद्ध होता है कि किया गया कार्य पथ पर निर्भर नहीं होता है।
तीन आवेशो के निकाय के कारण विद्युत स्थितिज ऊर्जा:-

यदि किसी आवेश q₁ को अनन्त से किसी बिंदु पर लाते है तो किया कार्य शून्य होगा लेकिन इसके कारण किसी बिंदु पर विद्युत विभव

यदि किसी अन्य आवेश q₂ को आवेश q₁ से r₁₂ दूरी पर लाए तो किया गया कार्य = q₂•V₁

इस स्थिति में आवेश q₁ से q₂ द्वारा उत्पन्न कुल विभव

यदि आवेश q₃ को अनन्त से इस क्षेत्र में लाए तो किया गया कार्य

यह कार्य निकाय की विधुत स्थितिज ऊर्जा के रूप में संचित हो जाता है । तथा इस स्थिति में भी स्थितीज ऊर्जा आवेशो को लाने के विन्यास पर निर्भर नहीं करती है।
एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट ऊर्जा
एक इलेक्ट्रॉन को एक वोल्ट के विभान्तर से त्वरित करने पर प्राप्त गतिज ऊर्जा को एक इलेक्ट्रॉन वोल्ट से प्रदर्शित करते है अर्थात
