विद्युत द्विध्रुव केकारण विभव परिमाण मे समान परन्तु विपरीत प्रकृति के दो आवेशो को अल्प दूरी पर रखते हैं, तो विद्युत द्विध्रुव का निर्माण होता है।
माना उनके विधुत आवेश q तथा -q तथा इनके मध्य दूरी 2a हैं । इस द्विध्रुव के केंद्र(o) से r दूरी पर स्थित किसी बिंदु पर विद्युत छेत्र की तीव्रता ज्ञात करनी है



बिंदु P पर कुल विभव

त्रिभुज OAB में

समकोण BAP में




V = 0
जब q = 180⁰

अतः अक्षीय बिंदुओं के लिए विभव का मान अधिकतम या न्यूनतम तथा निरक्षिय बिंदुओं के लिए विभव का मान शून्य होता है
विद्युत द्विध्रुव केकारण विभव तथा एकल आवेश के कारण विद्युत विभव का अंतर
विद्युत द्विध्रुव केकारण विभव दूरी r के साथ है स्थिति सदिशा r तथा द्विध्रुव आघुर्ण के मध्य कोण पर भी निर्भर करता हैं । अधिक दूरियों के लिए विद्युत द्विध्रुव के कारण विभव 1/r के अनुपात में घटता है न की V/R के अनुपात में ।
आवेशो के निकाय के कारण विभव
किसी भी विद्युत निकाय में अनेक आवेशो के निकाय होते है।
माना किसी निकाय में q₁ ,q₂ , …… qₙ आवेश है तथा किसी मूल बिंदु के सापेक्ष स्थिति सदीश क्रमशः r₁ , r₂ , ……. rₙ हैं।
इन आवेशो के कारण किसी बिंदु P पर कुल विधुत विभव ज्ञात करना है । बिंदु P की इन आवेशो से दूरियां क्रमशः r₂ₚ , r₂ₚ , ……… rₙₚ हैं ।

आवेश q₁ के कारण बिंदु P पर विभव

आवेश q₂ के कारण बिंदु P पर विभव।

आवेश qₙ के कारण बिंदु P पर विभव

अध्यारोपण के सिद्धांत से बिंदु P पर कुल विद्युत द्विध्रुव केकारण विभव इन सभी विभवो के बीजगणित योग के समान होगा अर्थात

- किसी एक समान आवेशित गोलिय खोल के कारण बाहर स्थित बिंदुओं के लिए विद्युत छेत्र इस प्रकार होता है ।
- जैसे सम्पूर्ण आवेश खोल के केंद्र पर स्थित हो यदि केंद्र से r दूरी पर विभव ले तो V = kq/r , r > R
- इस प्रकार गोले के पृष्ठ पर विभव r = R V =kq/r
- गाेलिय खोल के अंदर विद्युत छेत्र शून्य होता है अतः उसके अंदर आवेश विस्थापित करने के लिए किया गया कार्य शून्य होगा ।
- तथा एकांक आवेश को विस्थापित करने में कार्य विभांतर के समान होगा ।
- अतः कोश के अंदर विभव एक समान होता है तथा यह इसके पृष्ठ के विभव के समान होता है।
गोलीय कोश के अंदर विभव समान होता है तो किया गया कार्य शून्य होगा
